Thursday, September 30, 2021

ख्वाब था टूट गया

 जिंदगी के ऐसे मोड़ पर खड़ा हूं,

और सोच रहा हूं जो बीत गया क्या वो सच था या ख्वाब था जिसमें जीते आया ,

अस्पताल के वार्ड में पंखे की खड़ -खड़ आवाज सुनकर ये खयाल मुझे चैन से मरने न देगा ,

तो आज सच और फरेब का परदा इस चूं -चूं करते बिस्तर पर हटाना पड़ेगा ।

यह सच बड़ा ही अजीब है पर इस से मुकरना मुझसे न होगा।। 

सन् 1975 का वो दिन था ,

आज फिर से बगल वाले पहलवान राजू के घर से आम चुराने थे, पलटन थी अपनी ,

पर उसे कभी चोरी का नाम न दिया ,

बड़का बोलता था" यारों ये चोरी नहीं यादें बटोर रहें है "

यादें बटोरते न जाने कब वो सात साल का लड़का जो बारिश के पानी में कश्ती बनाता 14 साल का हो आया ,

जवानी का जोश था और नए - नए फैशन का आगाज़ ,

दिलीप कुमार जैसे कपड़े और राजेश खन्ना के गानों पर नाचने का अलग ही सरूर होता था ।

वो स्कूल बंक करके सिनेमा जाना और मौहल्ले के दारा सिंह से मुलाकात किसी दूध में मक्खी के गिरने से कम ना थी ।

मेरा (अरमान) क्या जाने पहली महोब्बत क्या होती थी ,

वो तो मेरा वो ख्वाब था जो मैने 18 बरस का होकर देखा ,

नई सीढ़ी पर कदम रखा था कॉलेज की लड़की सुनीता को दिल दे बैठा था ।

सलमान की' तेरे नाम 'देखकर बालों का पोस्टमार्टम करवा तो लिया था और फ्री में बापू जी का रेडियो भी सुन लिया ।

उसका नंबर तो दूर, बात करने में भी हाए तौबा होती थी,

 उन चारों के कहने पर एक प्रेम पत्र भी लिख डाला ,आज भी संभाल कर रखा है 

क्योंकि कभी हिम्मत ही न हुई उसे गुलाब के साथ देने की ।

ना जाने क्या लिखा था मेरे नसीब में 

मगर सपनों में शादी हमारी हो चुकी थी ,

ये ख्वाब भी मेरा तब टूटा जब उस सुनीता की शादी फिक्स हो चुकी थी ।

जमकर पी थी उस दिन, उसकी याद में नहीं दोस्तों ने जो मेरी ले ली थी उसके गम में ।

शेरों की टोली ने यह तय कर लिया था प्यार नहीं करेंगे ,

पर क्या करें कमीना दिल कभी शीला तो कभी रीमा पर फिसल ही जाता था ।

बड़ा हो गया तो असल जिंदगी में पैर रखा ,

बाप गुजर गया और घर का बड़ा था 

उस दिन पैरों तले जमीन खिसक गई ,मां की सुनी कलाई देख और छोटी बहन की आंखों में भोलापन 

जिसे न पता था कि क्या हुआ ,उसे तो समझा दिया था की पापा दूर गए है बाद में आयेंगे ,

  मगर सच तो मेरी आंखों से निकल रहा था ।

न पढ़ाई पूरी ,हुई न सपने 

ये ख्वाब ही था जो टूट गया।

 पास के पंचर की दुकान वाले ने तरस खाकर काम दे ही दिया,

पैसा कमाया तो , उस दिन पता लगा कि बाप की वो मार जो सिनेमा जाने पर पड़ती थी उसका मतलब क्या था ।

बड़ा अफसर न सही इतना काबिल तो बना दिया था हालात ने की बहन की शादी और मां का गुजारा कर लिया था ।

26 साल का होते ही हाथों में काम का बोझ दिखता ,तो कंधों पर जिम्मेदारी ।

मां ने व्याह तो रचा दिया था ,बाकी घर मैने बसा लिया 

बड़े उतार चढ़ाव आए जिंदगी में जो मैने और मेरी पत्नी सुशीला ने साथ में झेल लिए।

देखते ही देखते बेटा हो आया ,

अब बाप बना था तो ,अपने मरे हुए बाप को समझने लगा था ।

पता नहीं लगा कब उसको चलना सिखाते ,खुद लाठी पकड़ने लग पड़ा ।

आज मौत दस्तक दे रही है अपनी प्रिय को छोड़ने का समय आया है ,

बहुत से सवाल अभी भी बाकी हैं ,बहुत से ख्वाब अभी भी बाकी है ,

मगर मौका हाथ से दौड़ा जा रहा है ,

पलक झपकते बचपन बीत गया  

एक बार और पलक झपकाई बड़ा हो गया 

जब आखिरी बार झपकाई तो आंखे बन्द करने का समय आ गया 

अब मौका मिला है उन खूबसूरत लम्हों को याद करने का 

असलियत और ख्वाब को फिर से जीने का ।

अब आंखें बंद कर रहा हूं उन यादों को पीछे छोड़े जा रहा हूं ,अलविदा साथियों 

अपना आखिरी सलाम दिए जा रहा हूं ,

अलविदा !!!साथियों अलविदा!!!

Hope you like this small poem written by me special thanks to Varsha my one of the dearest sibling jisney poori poem hindi mey type kari thanks alot 🌸🌸✨✨

Waiting for your comments 🌸✨

And hope ki you all will recite this poem to your elders and parents as they can Relate to it more .🌸🌸♥️✨♥️✨

19 comments:

  1. Amazing … touché 💕💕we want some !Hindi influencers 👏👏

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  2. It means alot thank you so much ✨✨♥️♥️🌸🌸 and hope your parents will like it and relate with it too thodi sa hi sahi 🌸🌸✨

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  3. nice blog💙💙 my parents liked it too☺️☺️💛

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  4. Replies
    1. Thank you so much take 2 chambers of my heart ♥️♥️.

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  5. सचमुच बहुत अच्छी कविता है, लगे रहो!

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    1. Rest two chambers for you ♥️♥️thank you very much

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  6. It's a great poem with great imagination... Nice stuff.

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  7. Wonderful expression 👍 keep writing

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  8. Hey amshu I m Harsh wow such a very nyc words socha nhi tha ki itna acha likhte hoge ap 😄

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